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1 May 2024 · 1 min read

3 *शख्सियत*

चेहरे से ना पहचाने शख्सियत किसी की,
अक्सर लोग मुखौटा लगाएं घूमते हैं।
मुस्कुराहट से न लगाये अंदाजा खुशी का
कुछ लोग गम सीने में छिपाएं घूमते हैं।
आंसूओ से ना सोचे कि कोई गमज़दा है
कुछ शर्मिंदगी भी आंखों में बसाएं घूमते हैं।
मीठी वाणी से ना पहचाने फितरत किसी की,
लोग पीठ पीछे छूरा छिपाएं घूमते हैं।
झल्लाहट में ना देखें गुस्सा किसी का
लोग खून के घूट पी-पीकर घूमते हैं।
जिनकी कृपा से सब काज हैं संवरते ‘मधु’,
ऐसे सच्चे हितैषी केवल प्रभु ही घूमते है।

Language: Hindi
1 Like · 115 Views
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Books from Dr .Shweta sood 'Madhu'
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