वो इश्क़ अपना छुपा रहा था
1) वो इश्क़ अपना छुपा रहा था
मिला के नज़रें चुरा रहा था
2)धुआं ये सबको बता रहा था
शहर कोई तो जला रहा था
3) वो गीत उल्फ़त के गुनगुनाकर
नज़र से दिल में समा रहा था
4)इबादतें उसकी थीं निराली
वो रोते दिल को हॅंसा रहा था
5)वो मिलना पहली दफ़ा का उससे
मिरी वो धड़कन बढ़ा रहा था
6) फ़लक पे वो था ज़मीं पे मैं थी
मगर वफ़ाएं निभा रहा था
7) भुला के रिश्ते वो मंतशा अब
नई सी दुनिया बसा रहा था
🌹मोनिका मंतशा🌹