1 मई श्रमिक दिवस
श्रमिक दिवस
अंतहीन सी जिसकी ,
एक कहानी है ।
जीवन में जिसके,
फिर भी एक रवानी है ।
करता है अथक ,
परिश्रम निरन्तर ,
वसुधा भी जिसकी,
सदा दीवानी है ।
फैलाए है हरदम ,
वो आँचल अपना ,
उसके आँचल में ही ,
रात बितानी है ।
ओढ़ रहा है अम्बर ,
वो होले से ,
मेहनतकश की ,
बस यही कहानी है ।
पी जाता है अश्रु स्वेद ,
हंसकर हरदम ,
बून्द बून्द बह जाती,
जिसकी जवानी है ।
जाकर ज़रा के द्वारे,
पर वो धीरे से ,
चिर निंद्रा संग ,
सारी थकान मिटानी है ।
अंतहीन सी जिसकी ,
एक कहानी है ।
मेहनत काश की बस ,
यही कहानी है ।
….. विवेक दुबे”निश्चल”@…