#रुबाइयाँ
झूठ बोलने वाले सुनलो , सच की क़ीमत क्या होती।
झूठ हमेशा याद रखोगे , भूलो चाहे सच मोती।।
स्मरण-शक्ति जो कमजोर हुयी , झूठ पकड़ में आएगी;
पोल खुली तो बनो शर्मिंदा , रूह हमेशा फिर रोती।।
उम्मीदों की इश्क़ कहानी , महका दे रूह जवानी।
दीवाना करता ऐसा मन , इक सूरत दिखा सुहानी।।
जिसके बिना नींद उड़ जाएँ , हरपल हो रहे अधूरा;
साथ मिले तो सावन जैसी , जीवन दे हसीं निशानी।।
मुख चमकाने में लगे हुये , रूहों पर धूल जमी है।
मोहब्बत नज़र नहीं आती , जीवन में यही कमी है।।
पर बोलो तुम बिन बादल के , बरसात यहाँ कैसे हो;
दिल की धरती ही बंजर है , आँखों में तभी नमी है।।
#आर.एस.’प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित रुबाइयाँ