Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jun 2023 · 1 min read

1-कैसे विष मज़हब का फैला, मानवता का ह्रास हुआ

बेच दिए भारत की थाती, माना बहुत विकास हुआ
जो देता गाँधी को गाली, वहीं तुम्हारा खास हुआ
पूछ रही है भारत माता, उसको यह बतला दो ना
कैसे विष मज़हब का फैला, मानवता का ह्रास हुआ
-अजय कुमार ‘विमल’

Language: Hindi
498 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"कैंसर की वैक्सीन"
Dr. Kishan tandon kranti
हमारी वफा
हमारी वफा
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कुछ...
कुछ...
Naushaba Suriya
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
Sonu sugandh
आत्मविश्वास
आत्मविश्वास
Anamika Tiwari 'annpurna '
एक सच
एक सच
Neeraj Agarwal
क्या कहूँ
क्या कहूँ
Ajay Mishra
अमीर घरों की गरीब औरतें
अमीर घरों की गरीब औरतें
Surinder blackpen
सीता ढूँढे राम को,
सीता ढूँढे राम को,
sushil sarna
— कैसा बुजुर्ग —
— कैसा बुजुर्ग —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
कृष्णकांत गुर्जर
मुझे ना खोफ है गिरने का
मुझे ना खोफ है गिरने का
पूर्वार्थ
तेरी इस बेवफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
तेरी इस बेवफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
Phool gufran
3740.💐 *पूर्णिका* 💐
3740.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
U888
U888
u888tube
अ-परिभाषित जिंदगी.....!
अ-परिभाषित जिंदगी.....!
VEDANTA PATEL
कविता
कविता
Sushila joshi
‌‌भक्ति में शक्ति
‌‌भक्ति में शक्ति
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*झूठी शान चौगुनी जग को, दिखलाते हैं शादी में (हिंदी गजल/व्यं
*झूठी शान चौगुनी जग को, दिखलाते हैं शादी में (हिंदी गजल/व्यं
Ravi Prakash
नफरत थी तुम्हें हमसे
नफरत थी तुम्हें हमसे
Swami Ganganiya
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU SHARMA
वह भी चाहता है कि
वह भी चाहता है कि
gurudeenverma198
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
कवि दीपक बवेजा
#लघुकथा / #भड़ास
#लघुकथा / #भड़ास
*प्रणय*
क्षणिकाएं
क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
कहां जाके लुकाबों
कहां जाके लुकाबों
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मुहब्बत सचमें ही थी।
मुहब्बत सचमें ही थी।
Taj Mohammad
दो शे'र - चार मिसरे
दो शे'र - चार मिसरे
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
वस हम पर
वस हम पर
Dr fauzia Naseem shad
रमेशराज के साम्प्रदायिक सद्भाव के गीत
रमेशराज के साम्प्रदायिक सद्भाव के गीत
कवि रमेशराज
Loading...