बोल दे जो बोलना है
1)बोल दे जो बोलना है और लगा इल्ज़ाम भी
दर्दे ग़म देकर जुदाई का पिला दे जाम भी
2)इक नज़र गर देख लोगे हम तो मर ही जाएंगे
थाम कर बांहों में हमको कर ज़रा इकराम भी
3)उंगलियां फेरो मेरी ज़ुल्फ़ें संवारो आज तुम
और ऐसे में सजा दो प्यार की ये शाम भी
4)गुनगुनी सी धूप कर दे ऐ मिरे सूरज मुझे
सर्द जज़्बों को अता कर चैन भी आराम भी
5) मंतशा तुम ख़्वाब में भी दूर अब जाना नहीं
तुम ही हो आगाज़ मेरा तुम ही हो अंजाम भी
🌹मोनिका मंतशा🌹