05-हम भी तुम्हारे साथ चलें।
हमको भी ऊँगली पकड़ा दो ,हम भी तुम्हारे साथ चलें।
हमको भी तुम साथ लगालो,हम भी तुम्हारे साथ चलें ।
सारी उमर भर भी ना कोई अपने में परिपूर्ण दिखा है
थोड़ा सा कुछ पा जाएंगे हम,हम भी तुम्हारे साथ चलें ।
घुसने वालों को पता क्या?कहाँ गहरा, है उथला कहाँ
समझ पाएंगे गहराई हम वो ,हम भी तुम्हारे साथ चलें।
जीवन की दरिया कुछ ऐसी खाली ही रह जाती है
एक बूंद मिल जाए हमें भी , हम भी तुम्हारे साथ चलें।
मैंने कभी ना अंतर जाना ,की में छोटा या बड़ा भाई तू
रिश्तों का ये भेदभाव नहीं ,हम भी तुम्हारे साथ चलें।
ठीक मशविरा ग़र छोटे देते ,तो इसमें है क्या बात बुरी
गुजारिश “साहब” है तुमसे हम भी तुम्हारे साथ चलें ।