Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Dec 2017 · 1 min read

03- उनकी बातों पर यकीन नहीं होता ।

उनकी बातों पर मुझे अब यकीन नहीं होता ।
उनकी आदत पे मुझे वो आमीन नहीं होता ।।

बक़्त लम्बा गुजर गया हो साथ में जिसके
भलाइयों का सिलसिला वो तामील नहीं होता।।

जब भी मिला वो मुझे नजरें तिरछी ही रहीं
इससे बड़ा तो कोई और जाहिल नहीं होता ।।

मुसीबतों में साथ निभाया हो जिसने दिन रात
भूल जाए ग़र तो उससे बड़ा कायल नहीं होता ।।

वो आदमीं क्या जिसका पानी बात से ना मरे
चोट के असर से वो उतना घायल नहीं होता।।

इंसान को अपनी औकात पे भरोसा जरूरी है
हाँ “साहब” वो फिर उतना गमगीन नहीं होता ।।

164 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"तेरे वादे पर"
Dr. Kishan tandon kranti
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
Rj Anand Prajapati
इश्क़ का दामन थामे
इश्क़ का दामन थामे
Surinder blackpen
हार नहीं मानेंगे, यूं अबाद रहेंगे,
हार नहीं मानेंगे, यूं अबाद रहेंगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी नन्ही परी।
मेरी नन्ही परी।
लक्ष्मी सिंह
सबसे क़ीमती क्या है....
सबसे क़ीमती क्या है....
Vivek Mishra
The emotional me and my love
The emotional me and my love
Sukoon
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
Suryakant Dwivedi
*टूटी मेज (बाल कविता)*
*टूटी मेज (बाल कविता)*
Ravi Prakash
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
sudhir kumar
कब रात बीत जाती है
कब रात बीत जाती है
Madhuyanka Raj
सियासत
सियासत "झूठ" की
*प्रणय प्रभात*
दोस्त
दोस्त
Neeraj Agarwal
जागी जवानी
जागी जवानी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मुश्किल राहों पर भी, सफर को आसान बनाते हैं।
मुश्किल राहों पर भी, सफर को आसान बनाते हैं।
Neelam Sharma
राखी रे दिन आज मूं , मांगू यही मारा बीरा
राखी रे दिन आज मूं , मांगू यही मारा बीरा
gurudeenverma198
सिर्फ विकट परिस्थितियों का सामना
सिर्फ विकट परिस्थितियों का सामना
Anil Mishra Prahari
रोला छंद
रोला छंद
sushil sarna
दरक जाती हैं दीवारें  यकीं ग़र हो न रिश्तों में
दरक जाती हैं दीवारें यकीं ग़र हो न रिश्तों में
Mahendra Narayan
काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज
काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज
कवि रमेशराज
*तुम और  मै धूप - छाँव  जैसे*
*तुम और मै धूप - छाँव जैसे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गर्मी ने दिल खोलकर,मचा रखा आतंक
गर्मी ने दिल खोलकर,मचा रखा आतंक
Dr Archana Gupta
नव वर्ष हमारे आए हैं
नव वर्ष हमारे आए हैं
Er.Navaneet R Shandily
बुंदेली_मुकरियाँ
बुंदेली_मुकरियाँ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नाकाम मुहब्बत
नाकाम मुहब्बत
Shekhar Chandra Mitra
व्यक्ति और विचार में यदि चुनना पड़े तो विचार चुनिए। पर यदि व
व्यक्ति और विचार में यदि चुनना पड़े तो विचार चुनिए। पर यदि व
Sanjay ' शून्य'
❤️🖤🖤🖤❤
❤️🖤🖤🖤❤
शेखर सिंह
नमन तुम्हें नर-श्रेष्ठ...
नमन तुम्हें नर-श्रेष्ठ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
सेंगोल और संसद
सेंगोल और संसद
Damini Narayan Singh
धिक्कार है धिक्कार है ...
धिक्कार है धिक्कार है ...
आर एस आघात
Loading...