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27 Dec 2017 · 1 min read

03- उनकी बातों पर यकीन नहीं होता ।

उनकी बातों पर मुझे अब यकीन नहीं होता ।
उनकी आदत पे मुझे वो आमीन नहीं होता ।।

बक़्त लम्बा गुजर गया हो साथ में जिसके
भलाइयों का सिलसिला वो तामील नहीं होता।।

जब भी मिला वो मुझे नजरें तिरछी ही रहीं
इससे बड़ा तो कोई और जाहिल नहीं होता ।।

मुसीबतों में साथ निभाया हो जिसने दिन रात
भूल जाए ग़र तो उससे बड़ा कायल नहीं होता ।।

वो आदमीं क्या जिसका पानी बात से ना मरे
चोट के असर से वो उतना घायल नहीं होता।।

इंसान को अपनी औकात पे भरोसा जरूरी है
हाँ “साहब” वो फिर उतना गमगीन नहीं होता ।।

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