02—–गम और खुशियों के पल ।
गम और खुशियों के पल,वस ये आते जाते रहते हैं ।
हाजिर एक हमेंशा इनमें,वस ये आते जाते रहते हैं ।।
फिर हंसना क्या,घबराना क्यों है ,दामन में ही ले लो
यारों लेने तो मजबूरन होंगे,वस ये आते जाते रहते हैं।।
गरीब आमिर मालिक मुमालिक,छूटा इनमें कोई एक
फिर क्यों रँजें पाल रखी हैं,वस ये आते जाते रहते हैं ।।
सोना खाके जीवित कितने ,लगाना है अनुमान व्यर्थ
सुखी से भी जिंदा वर्षों ,वस ये आते जाते रहते हैं ।।
मलमल के कपड़ों में ढक के,जिनके तन को देखा है
दुखी हाड देखे हैं हमने , ! वस ये आते जाते रहते हैं ।।
आसमाँ में घर किसका है ,? पाल “साहब”इन्हें बताना
नहीं परिंदे भी बहां हैं बसते, वस आते जाते रहते हैं ।।