01-सौगात है ये जिंदगी ।
सौगात है ये जिंदगी, उमंग चाहिए ।
राग- बाग़ -छ्न्द -बन्ध, रंग चाहिए ।।
दृष्टि हीन टेक यह पुकार कह रही
उल्लासहीन तरंग को है भंग चाहिए।।
धरा की प्रति बस्तु में गम्भीर राज है।
सुनके देख आँख खोल कण कण में आवाज है।
बढ़ के आओ तोड़ ये आलस की बेड़ियां
कांपती सी देह को है सुअंग चाहिए।।
लटके हैं कौन विधि नभ में वे तारे
शक्ति कौन दे गया तू सोच न प्यारे ।
स्फूर्ति खोजती है मूर्छा में प्राण को
और बोलती की हौसले बुलंद चाहिए।।
रवि ज्योति ये प्रविकीर्ण यह सब पा रहे।
जीव मधुर गीत, बहु –भाँती —गा रहे
सन्देश दे रही है , घूम घाम मण्डली
उच्च उड़ान हेतु मन विहंग चाहिए ।।
पाके प्राण बांसुरी ,खोखली पर बोलती है
बून्द ग्रहण हेतु सीपी मुहं अपना खोलती है।
घूम घाम चारों और आप थोड़ा देखिये।
अनूठी प्राप्तियों को मश्त जंग चाहिए ।।
पल ये कीमती है लाल पकड़ सख्ती से
तिल भर भी ना पा सकता है तू विरक्ति से।
बजा दे भक्ति बिगुल सुनसान राहों में
प्रचंड ज्ञान हेतु सरल मृदङ्ग चाहिए ।।
धरा है ज्ञान पुंज भर ले ना अंजलियां
तड़प के जोर शोर से कह रहीं हैं बिजलियाँ
अब् फैसला है सामने मुहं खोल के बता
विहंसती हो हर सांस की प्रण भंग चाहिए ।।