?दोहे?
मज़बूरी का फ़ायदा , लेते लोग कलंक।
प्रभु इनको सद्बुद्धि दे , या दे यमपुर अंक।।
सबके सुनें विचार जो , मन से वही निरोग।
अपनी ही गाते रहें , रोगी हैं वो लोग।।
आली-आली में खड़ी , हँस मटकाए नैन।
अंग-अंग घायल करे , छीने मन उर चैन।।
नेक कर्म से नाक हो , धरा लगे ये नाक।
पग-पग ख़ुशियाँ झूमती , हृदय रहे बन पाक।।
दर्दनिवारक है हँसी , देती राहत जोश।
जो सोया हो शोक़ में , यही दिलाए होश।।
अंतर में मत्सर भरे , करे ओज से दूर।
सुरा पान जैसे किया , मन हो बेसुध क्रूर।।
मलयज मन को कीजिये , महकाए हर संग।
असर करे ना डंक विष , कोशिश व्यर्थ भुजंग।।
#आर.एस.’प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित दोहे