#कविता//ऊँ नमः शिवाय!
#दोहे
जय शिव शंकर देव की , हरे सभी की पीर।
करे वंदना ध्यान धर , रहे न भक्त अधीर।।
बम-बम बोलो जोर से , मिलता देव प्रसाद।
महादेव के ध्यान से , उर मन होता शाद।।
#चौपाइयाँ
प्रभु अविनाशी जय शिव भोले।
सकल सृष्टि ताण्डव से डोले।।
ताप विनाशक मंगलकारी।
भाये तुमको वृषभ सवारी।।
चंद्र भाल पर गंगा कुंतल।
हाथ त्रिशूला नैना निश्छल।।
गले सर्प बाघम्बर धारे।
भस्म कलेवर गौरा प्यारे।।
नीलकंठ तुम शम्भु त्रिलोकी।
महाकाल तुम भक्त बिलोकी।।
देवों के देव तुम्हीं भोले।
खुश हो जाते बम-बम बोले।।
रिद्धि-सिद्धि के तुम हो स्वामी।
भक्तों की हरते नाकामी।।
हलाहल तुम्हीं पी जाते हो।
तभी सृष्टि प्रभु कहलाते हो।।
जप को तुम कैलाश विराजै।
नृत्य किया तो डमरू बाजै।।
जिसने तुमको मन से ध्याया।
भव-सागर से पार लगाया।।
शिव शंकर तुम करो उजाला।
बंद अक्ल का खोलो ताला।।
‘प्रीतम’ जग हित तुमको ध्याये।
विघ्न कटे मंगल हो जाये।।
#दोहा
महाकाल शिव आज फिर , करना जग का ध्यान।
द्वेष स्वार्थ में डूब कर , मनुज बना अनजान।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’