? जय कन्हैया लाल की…?
?? जय कन्हैया लाल की ??
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जसुदा नें पूत सपूत जनों,
अज भूमि चराचर हरषाई।
सुर नर मुनि सिग आनन्दित है,
नभ सुमन-राशि रहे बरसाई।
ऐसौ आनन्द भयौ ब्रज में,
जनु ‘तेज’ लहर सी है आई।
चौथेपन सकल लुटाय दियौ,
जग नें कनुआ सी निधि पाई।
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दिल ते दिल जब मिल जाय कभू,
तौ दिल काबू नहि रह पावै।
रस कौ झरना दिन-रात बहै,
पर बात न दिल की कह पावै।
रसराज कन्हैया की धारा,
कोउ बिरलौ ही बह पावै।
जा दिल ते दिल की यारी कूं,
कर ‘तेज’ जतन ही सह पावै।
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?तेज मथुरा