?दायरे ।
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सोचो के दायरे ,
ये सपनों के दायरे ।
बोले तो क्या बोले,
ये लफ्जों के दायरे।(1)
हैं पड़े यहाँ हम तुम,
हैं घिरे यहाँ हम तुम,
दुनियादारी और रिश्ते मे,
हैं बंधे यहाँ हम तुम।(2)
कुछ आप करें,
कुछ हम करें।
जो दिल बोले,
वो सब करें ।(3)
है दूर नही मंजिल कोई,
है कठिन नही रिश्ता कोई ।
दिल से गर हम ठान ले,
नामुमकिन नही सपना कोई ।(4)
27/11/2016
~~~~~~~ मंचन। ?