?? *सबल या लाचार* ??
?? सबल या लाचार ??
आदमी या जानवर दोनों पर ही अपनी जिंदगी जीने,अपनी व्यवस्था चलाने के दो तरीके है,एक तो वह की अपने खुद के बल बूते पर उसको पाने के लिए सदैव प्रायसरत और संलग्न रहे या वो अपने आपको मजबूर या लाचार बना ले और उस चीज को उसी हालत में स्वीकार करे जैसे उसको दिखा या दी जाये,,
अब हम अपनी मूल स्थिति पर आ जाये तो हम सभी पूर्ण रूप से सबल है सभी के पास शिक्षा है,समय है,तर्क शक्ति है,व्यक्ति है,धन है,परिवार है,और तो हम सबमे किसी भी व्यक्ति को अपनी बातो और विचारो से हम अपनी बात को मनवाने के दम और दिमाग रखते है,हमारा संख्या बल अच्छे राजनैतिक,विश्लेषक,नेताओ दलों को प्रभावित करने का वजन रखते है,और उनको बहुत ही अच्छे से पता है कि वो क्या है और हम पर ऐसा क्या है जो हमे आत्मनिर्भर,या सबल न बनाकर हमको लाचार या मजबूर और दूसरे के इशारो का गुलाम बना रहा है इसके लिए जुम्मेदार की अपनी वजह है न कि हम या आप क्योकि इतने समय से हमारी शक्ति,धैर्य,धन समय इन सबका जो दुरुपयोग किया जा रहा है उसके लिए कही न कही हमारे बीच के जयचंद और रावण के भाई ही जुम्मेदार है,जो कि सदैव ही अपने भाइयों से गद्दारी कर उनके धन समय और भावनाओं का सौदा भरे बाजार तो नही पर बन्द कमरों की चार दीवारों में जरूर करते है,,
इस तरह से उनकी खुद की लाचारी हमारे हिस्से में आ जाती है और हम,झेलते रहते है उनके उस बेकार के वादों आंसू कसमो और अपने पन को,,
जबकि हमारे पास सब होते हुए भी हम मजबूर है,,,
तो हम अपने आप से हार रहे है,हम खुद को गड्ढे में डाल रहे है,,
आने बाले समय मे आखिर पता सबको लगना है और वो अब निकट है जल्द ही उसका फैसला भी हो जायेगा,
लेकिन हां जो अभी हमारे बीच है और उनको जो खाने और चबाने दिखाने के अलग अलग दांत है वो जरूर उजागर हो जायेंगे,,,
मेरे विचार मेरी मनःस्थिति और आसपास की घटित गतिरोधों,परिदृश्यों की उपज है,,
बाकी सच जो है वो सच तो आप सब समझ रहे है,,
जो जिस स्थिति मे है समझे,,,
आपका,,,
मानक लाल मनु,,
सहायक अध्यापक,,
विचारक,लेखक,कवि,स्वतन्त्र समीक्षक??