#रुबाई
#रुबाई
इच्छाओं के वश में होकर , अब हँसना भूल गये हैं।
चलते तो हैं लोग यहाँ पर , पर मिलना भूल गये हैं।।
ख़ुशी नहीं पर ख़ुशी देखकर , अपनापन बेगाना है;
नफ़रत काँटे बोते-बोते , अब खिलना भूल गये हैं।।
#आर.एस.’प्रीतम’
#रुबाई
इच्छाओं के वश में होकर , अब हँसना भूल गये हैं।
चलते तो हैं लोग यहाँ पर , पर मिलना भूल गये हैं।।
ख़ुशी नहीं पर ख़ुशी देखकर , अपनापन बेगाना है;
नफ़रत काँटे बोते-बोते , अब खिलना भूल गये हैं।।
#आर.एस.’प्रीतम’