💐 ग़ुरूर मिट जाएगा💐
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
एक अबोध बालक 💐💐 अरुण अतृप्त
💐 ग़ुरूर मिट जाएगा💐
बैठ कर देख फकीरों में
पल दो पल
पता चल जाएगा
ग़ुरूर मिट जाएगा
ग़ुरूर मिट जाएगा ।।
गरदन ऊंची किये फिरता है
अकड़ा अकड़ा
सारे जग में हे प्राणी
तन को माटी से रच लेना
मां धरती से मिल कर सोना
पता चल जाएगा
ग़ुरूर मिट जाएगा
ग़ुरूर मिट जाएगा ।।
मजदूरों के मन को पढ़ ना
चुप रह कर सब सहते रहना
फ़टी हुई पोशाक पहन कर
ऊंची ऊंची इमारत बनाना ।।
रूखी सूखी रोटियां खाकर
ऊपर ठंडा पानी पी कर
पत्थर का सरहाना जिसका
धरती ही हो बिछोना उसका
पता चल जाएगा
ग़ुरूर मिट जाएगा
ग़ुरूर मिट जाएगा ।।
रिक्शा चालक को देखा है
कितनी मेहनत वो करता है
सर्दी गर्मी बरखा में भी भैय्या
रुके नही चलता रहता है
एक बार ऐसे ही जीवन बिता ले
उसके जैसा रह कर दिखा दे
तौबा कर जाएगा तौबा कर जाएगा
पता चल जाएगा
ग़ुरूर मिट जाएगा
ग़ुरूर मिट जाएगा ।।
कभी किसानों को देखा है
जीवन उसका संतों जैसा है
दिन न देखें रात न देखें
पूरे जगत को अन्न देता है
तन पर जिसके वस्त्र नही है
पेट पीठ से चिपका रहता है
बैलों की जोड़ी को लेकर
खेत जोतता जो रहता है
दो दिन, बस दो दिन
तू भी खेत बहा ले
उसकी शैली, को अपना ले
सब समझ आएगा सब समझ जाएगा
पता चल जाएगा
ग़ुरूर मिट जाएगा
ग़ुरूर मिट जाएगा ।।