💐 हे तात नमन है तुमको 💐
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
एक अबोध बालक * अरुण अतृप्त
💐 हे तात नमन है तुमको💐
जनक हो तुम परमपिता हो
मेरे अस्तित्व के सृजक हो
अणु अणु में व्याप्त तुम्ही हो
सूक्ष्म वृहद तम प्रकाश तुम्ही हो
सुख दुःख दुनिया जीव अधारा
सकल जगत के हो संकट हारा
जनक हो तुम परमपिता हो
मेरे अस्तित्व के सृजक हो
एक हो अनेक हो प्रत्यय समर्थ हो
सारे संसार के सामने उदाहरण विशेष हो
तुम हो तो हम हैं हे तात परम सत्य हो
सृजनकारी पूज्य बापूजी जी प्रतीक हो
जनक हो तुम परमपिता हो
मेरे अस्तित्व के सृजक हो