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6 Feb 2022 · 1 min read

? शब्दों की नगरी ‘मन’ ?

डॉ अरुण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरुण अतृप्त ?
? शब्दों की नगरी ‘मन’ ?

निढाल मन को देते हैं
उत्साह , संभलने का
गिरे हुए को उठने की
प्रेरणा देते हैं, ये शब्द
ही हैं जो निष्प्राण में ,
प्राण फूँक देते हैं कभी कभी ,
तुम चाहो तो किसी को
भी ऊर्जा से भर सकते हो
तुम चाहो तो किसी को भी
अपमानित कर सकते हो,
अपने शब्दों से , किसी के भी
मन को घायल कर सकते हो ,
अपने कटु वचनों से
पीड़ा से उबार लो,
या पीड़ा से भर दो ,ये काम
तुम कर सकते हो शब्दों से ,
पर शब्दों की सकारात्मक
ऊर्जा का अभिज्ञान हो अगर,
तो ही होगा ये सब मात्र
एक ही माध्यम से वो है शब्द ,
निशशब्द रहोगे तो
तुम मात्र दृष्टा बनोगे ,
शब्द साकार हैं शब्द आकार
शब्द ही मेरी समझ में
जगत का व्यवहार हैं,
तुम भी जुड़ोगे मुझसे
तो मेरे प्रिय मित्र बनोगे
भाई और भगिनी कहलाओगे
अन्यथा मेरे आत्मीय स्वरूप से
हे प्राणी तुम बंचित रह जाओगे ?‍♂?‍♂

Language: Hindi
1 Like · 267 Views
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