? मेरे दाता एक हैं ?
डॉ ० अरुण कुमार शास्त्री एक ? अबोध बालक
अरुण अतृप्त
? मेरे दाता एक हैं ?
रे हर पल रखियो सिमरन
रे हर पल रखियो ध्यान
तभी मिलेंगे दाता
तभी मिलेंगे राम
जिस पल चूका प्रभु को
जिस पल ना ही ध्याया
उस पल बिसरा देगें
भूल जाएंगे श्याम
जैसे दुनिया के कार्यों में
भूल तुझे हो जाती है
वैसे ही श्री हरि को
गलती भी तो लग जाती है
तुझको तो ध्याने हैं
सिर्फ एक अकेले राम
उनको तो रखना है
लख चौरासी ज्ञान
रे हर पल रखियो सिमरन
रे हर पल रखियो ध्यान
तभी मिलेंगे दाता
तभी मिलेंगे राम
सतत रमेंगे सतत रटेंगे
रे पल पल शंकर भोले नाम
तभी रहेंगे तभी बसेंगे
आन हृदय घन श्याम
इस दुनिया के कार्य कई हैं
सभी आवश्यक सभी जरूरी
तेरे जैसे जीव अनेकों
कोई जल में कोई नभ में
कोई थल में फंसे हैं
हर पल हर कोई तड़प रहा
गलती कर कर भुगत रहा
* दाता लेकिन एक अकेला *
सबको पल पल देख रहा है
रे हर पल रखियो सिमरन
रे हर पल रखियो ध्यान
तभी मिलेंगे दाता
तभी मिलेंगे राम