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20 Feb 2022 · 1 min read

? चाल चौबिसी?

जीवन जीवन सब करें
जीवन जिये न कोय ।।
जो जग मा स्व स्वार्थ को
हर पल साधे होय ।।

परित्याग को अपनाये जो
उनके संवरे काज ।।
प्रभु से सीधा वास्ता
करत करत अभ्यास ।।

मेरी तेरी ना करो
करो समाज सुहाय जो ।।
अबोधिता के रूप मा जियो
प्रति द्वन्दी घट जाये सो ।।

कपड़ा लत्ता पहर के
लाला चले ससुराल
मुँह पोतो पाऊडर लगे
उस पर इतर कमाल
उस पर इतर कमाल
के भइया पान चबाय
धोती गमछा साध के
जेब ते ठन ठन हाय ।।

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