Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2018 · 1 min read

?? ऐ मेरे मधुमेह!! ??

ऐ मेरे मधुमेह !
तुम्हें कैसे धन्यवाद दूँ !
तुम्हारे कारण अपनों के साथ हूँ।
जीवन शैली को लेकर हो गई सावधान,
स्वास्थ्य का बना मेरा नया प्रावधान ।
जीवन के प्रति जो था लचर रवैया,
आज जीने का बदल गया तरीका ।
यह सजगता तुमने दी।
यह विलक्षणता तुमने दी।
न जाने क्यूँ तुम्हें —
मानते हैं, जीवन का अभिशाप ,
तुम्हारे नाम से ही जाते काँप ।
असंतुलन को नहीं देते विराम ,
स्वास्थ्य का रुदन सुबह -शाम ।
तुम तो स्वास्थ्य के प्रति करते सजग,
बेपरवाही से कराते ध्यान भंग ।
खान -पान का कराते ध्यान ,
संयमित जीवन का कराते ज्ञान।

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 459 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तेरे शब्दों के हर गूंज से, जीवन ख़ुशबू देता है…
तेरे शब्दों के हर गूंज से, जीवन ख़ुशबू देता है…
Anand Kumar
■ आज की ग़ज़ल
■ आज की ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
"फूल"
Dr. Kishan tandon kranti
💐प्रेम कौतुक-239💐
💐प्रेम कौतुक-239💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मांओं को
मांओं को
Shweta Soni
मर्त्य ( कुंडलिया )
मर्त्य ( कुंडलिया )
Ravi Prakash
गुरुवर
गुरुवर
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
मैं जो कुछ हूँ, वही कुछ हूँ,जो जाहिर है, वो बातिल है
मैं जो कुछ हूँ, वही कुछ हूँ,जो जाहिर है, वो बातिल है
पूर्वार्थ
दानवीरता की मिशाल : नगरमाता बिन्नीबाई सोनकर
दानवीरता की मिशाल : नगरमाता बिन्नीबाई सोनकर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चाहत
चाहत
Sûrëkhâ Rãthí
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
Manisha Manjari
सर्वप्रथम पिया से रँग लगवाउंगी
सर्वप्रथम पिया से रँग लगवाउंगी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जिंदगी जीना है तो खुशी से जीयों और जीभर के जीयों क्योंकि एक
जिंदगी जीना है तो खुशी से जीयों और जीभर के जीयों क्योंकि एक
जय लगन कुमार हैप्पी
दूर भाग जाएगा ॲंधेरा
दूर भाग जाएगा ॲंधेरा
Paras Nath Jha
स्वप्न ....
स्वप्न ....
sushil sarna
दुख निवारण ब्रह्म सरोवर और हम
दुख निवारण ब्रह्म सरोवर और हम
SATPAL CHAUHAN
चंदा तुम मेरे घर आना
चंदा तुम मेरे घर आना
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
बाल कविता: वर्षा ऋतु
बाल कविता: वर्षा ऋतु
Rajesh Kumar Arjun
प्यार दर्पण के जैसे सजाना सनम,
प्यार दर्पण के जैसे सजाना सनम,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
स्त्री श्रृंगार
स्त्री श्रृंगार
विजय कुमार अग्रवाल
चूड़ियाँ
चूड़ियाँ
लक्ष्मी सिंह
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है 【निर्गुण भजन】
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है 【निर्गुण भजन】
Khaimsingh Saini
रिश्तों की मर्यादा
रिश्तों की मर्यादा
Rajni kapoor
खुद के होते हुए भी
खुद के होते हुए भी
Dr fauzia Naseem shad
राम राम राम
राम राम राम
Satyaveer vaishnav
दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस
दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस
महेश चन्द्र त्रिपाठी
स्पर्श करें निजजन्म की मांटी
स्पर्श करें निजजन्म की मांटी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सुपर हीरो
सुपर हीरो
Sidhartha Mishra
शुरू करते हैं फिर से मोहब्बत,
शुरू करते हैं फिर से मोहब्बत,
Jitendra Chhonkar
3353.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3353.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
Loading...