??ग़ज़ल??
!!!!!!!!!!!?गजल ?!!!!!!!!!!
हाथों मे मेहदीं अपने लगाकर चली गयी
बाबुल का छोडा गांव पिया घर चली गयी
ठुकरा गये हैं हमको वो दोलत के वासते
बचपन का जो था प्यार भुलाकर चली गयी
बनके दुल्हन वो आज बिदा हमसे हो रहे
सबको गले लगाके रुलाकर चली गयी
दुनियां की ख्वाहिशे हैं न जीने की आरजू
सीने मे जख्म ऐसा लगाकर चली गयी
सपने सजे हसीन वो पलकों मे रह गये
मोहब्बत का वो चराग बुझाकर चली गयी
सोनू रहो तुम दूर मोहब्बत फरेब से
एहसास बक्त रहते दिलाकर चली गयी
गायत्री सोनू जैन मंदसौर