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11 Jul 2022 · 1 min read

💐💐शरणागतस्य सर्वाणि कार्याणि परमात्मना भवन्ति💐💐

परमात्मप्राप्तया: कृते मन-बुद्धया नियोजनं करणसापेक्ष: च स्वयमेव नियोजनं करणनिरपेक्ष: च।शरणागति: च कर्मयोग: च करणनिरपेक्ष: साधनं।संसारस्य निषेधः भवने सति शून्य: शेषः भवति तु एषः शून्य: भवतः स्वरूपं न।प्रत्युत शून्यस्य ज्ञाता भवतः स्वरूपं।भवतं संसारस्य सत्ता अमन्येत्।तदा संसारस्य वस्तु मन-बुद्धि: न भवति तु शून्य: प्रतीत: भवति।यदि ‘परमात्मा है’इति-एतादृशः मन्येत् तु एषः ‘है’इति शून्य: कीदृशः भविष्यति?नो भविष्यति।अभ्यासे दृढ़-अदृढ़ अवस्थाद्वयं भवति।परं विवेके दृढ़-अदृढ़ अवस्था न भवति।’करना’इति करणसापेक्ष: भवति।’होना’इति करणनिरपेक्ष: च ‘है’इति करणरहित:।यदि ‘है’इतिं इच्छति तु ‘करने’इतिं ‘होने’इत्यस्मिन् च ‘होने’इतिं ‘है’इत्यस्मिन् परिवर्तयतु-“नैव किञ्चित्करोमीति युक्तो मन्येत तत्ववित्”(गीता 5/8)
यथा कश्चित ‘कारखाना’इत्यस्य कोSपि स्वामी न स्यात् तु एतस्य संचालनं सर्वकारः करोति। कार्ये अन्तरं न अपितु स्वामीत्वस्य परिवर्तनं भवति।एतादृशः शरणागतस्य सर्वाणि कार्याणि भगवता भवन्ति।

©®अभिषेक:पाराशरः

Language: Sanskrit
313 Views
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