??व्यथित न कर पाती मेघ गर्जना प्रलय काल की??
व्यथित न कर पाती मेघ गर्जना प्रलय काल की,
धीर धरे जो विपति काल में हर प्रकार की,
मार्ग उदय हो और लक्ष्य मिले, जो भ्रमित न हो,
शुभ सोच रखे, सम बुद्धि रखे जो हर प्रकार की।।1।।
लेख लिखे रिक्त पृष्ठ पर कलम दवात की,
कैसे चमके किस्मत नर की, बिन पुरुषार्थ की,
आधार बने और विजय मिले, जो भ्रमित न हो,
शुभ सोच रखे, सम बुद्धि रखे जो हर प्रकार की।।2।।
भाग्यहीन को श्री मिल जाती बिना भाग्य की,
मर्यादा बिनु नारी शोभा नही समाज की,
ख़ुद को बदले, श्रेष्ठ कर्म करे, जो भ्रमित न हो,
शुभ सोच रखे, सम बुद्धि रखे जो हर प्रकार की।।3।।
अर्द्ध सफलता ही कहलाती बिना चोट की,
मित्र वही जो बात करें, हर क्षण बिना खोट की,
शुभ श्रवण करें, कर्म करे निज, जो भ्रमित न हो,
शुभ सोच रखे, सम बुद्धि रखे जो हर प्रकार की।।4।।