Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2022 · 3 min read

💐💐प्रेम की राह पर-50💐💐

मेरे इस समग्र अंतर्द्वंद्व की पीड़ा से पीड़ित होने के क्षणों में तुम्हारा यह उपहास पूर्वक व्यवहार क्या सर्वदा तुम्हें प्रसन्न बनाएगा।नहीं।यदि तुम स्थानीय परिस्थियों का लाभ नहीं लोगे तो जो आपके हितकर हों जिनसे आपका प्रगति का मार्ग प्रशस्त हो तो उन्हें ग्रहण कर लेना बहुत ही प्रभावी होगा और वे आपको निश्चित ही एक श्रेष्ठ मानव बनाने में सहयोग करेंगे। अग्नि का गुण है दाह देना।तो उसे क्या शीतलता से भीति है?नहीं उसका यह गुण है दाहकत्व।अतिशीतलता में भी अग्नि का गुण प्रकट हो जाता है।दाह तो वह भी देता है।तुम्हारा द्वारा अभी भी किसी भी हृदय को शान्ति देने वाले संवाद का आश्वासन न दिया गया।यह और कह दिया गया कि मैं अब वैसे भी बात नहीं करूँगी।तो चलो छोड़ा मैंने तो वैसे भी इस प्रेम की धरा को वंचक कह दिया है।तुम अब किसी भी नए प्रसंग को जन्म न देना।तुम्हारे रुदन के क्षण तुम्हारे हिस्से में हैं।मैं उन्हें अपने हिस्से में नहीं लूँगा।तुम न करो बात चलो ठीक है।यह आन्दोलन स्वतः बन्द हो जाएगा और इससे तुम्हें शान्ति मिले तो साधकर इसे अपने जीवन में स्वयं जीवन जीना सीखना।मैं इससे ज़्यादा इस प्रसंग की पैरवी नहीं कर सकता हूँ।तुम केवल इसे एक सामान्य प्रसंग मानती हो।चलो ठीक है।एक समय बाद तुम्हें यह सब धिक्कारेगा।इसे इतना सुकर न समझना।तुम्हें इतनी ही पीड़ा से अपने जीवन के पलों को गुजारना पड़ेगा।तुम इस अज्ञात पीड़ा को अपने उस कर्म के साथ जीना।जिसे तुम अपनी प्रवृत्ति समझती हो।तुमने कभी सीधे संवाद का प्रयास न किया।क्या मैं टपोरी था?तुम इस तरह वार्ताओं को अपने निजी जनों के साथ प्रस्तुत करती रहीं।क्या कभी कोई साधारण सा व्यवहार प्रस्तुत किया।कभी नहीं।यही था तुम्हारा शोध जो तुम्हारे कमरे तक के व्यवहार तक सीमित रहा।मेरी तो विवाह होगा और निश्चित होगा।पर तुम देख लेना कि तुम किसी ऐसे मूर्ख से बंधोंगी जो शोषण के अलावा तुम्हें कुछ न देगा।तुम्हारा गुमान तुम्हारा अहंकार तुम्हारी दोष दृष्टि सब उस गर्त में समा जायेंगी।जो सर्वदा तुम्हें इस सत्य प्रेम की प्राप्ति के बाधक के रूप में कथन करेंगीं।तुम उस आलोक का प्रकाश कभी न प्राप्त कर सकोगी जो एक सच्चे प्रेम के आवेश से उत्पन्न होता है।तुम्हारे विचार निम्न श्रेणी के हैं।तुम जंगली विचारों से युक्त हो।मैंने शायद ही कोई इस तरह से पैरवी की हो।तुम्हें वे सभी स्थल बतायें जहाँ से मुझ तक पहुँचा जा सकता था।परं तुमने कोई भी ऐसी वार्ता उन स्थानों तक पहुंचने की प्रेषित की और न ही चिन्ह ही प्रस्तुत किया।यह सब तुम्हारी अल्पबुद्धि के साक्षात उदाहरण हैं।ईश्वर जानता है यदि मेरे इस संसारी प्रेम का जरा सा भी कोई शोध करे तो तुम्हारे ही तरफ से दोष का उद्भव होगा।त्याग भी कोई चीज है।इतना सरल नहीं है।यदि मेरा त्याग कर दिया हो तो वैसा बताओ।मैं किसी ग़फ़लत में नहीं रहना चाहता हूँ।साफ साफ संवाद करना ज़्यादा उचित होगा।मेरा संदेश छोड़ना वाजिब है।परं तुम यह समझती होगी यह कपोत खूब फँसा हमारे जाल में।तो ऐसे ही अनुमान लगाती रहना और यहाँ पार्टी बुक हो जाएगी।क्या तुम अनाथ हो?क्या तुम्हारी पारिवारिक पृष्ठभूमि नहीं हैं।क्या गाँव के गँवार हैं सब? जब इतना सब कुछ तुम्हारे प्रति कहा जा रहा है।तुमसे अभी तक इस प्रसंग के उपसंहार के लिए चींटी भी न रेंगी।मैंने पहले ही कह दिया था तुम ही सब पैरवी करोगी।यह क्या संक्षेप कथन था।अपने अभिभावकों के मार्गदर्शन से भी तो आगे बढ़ा जा सकता था।पर नहीं।क्यों!यों की कबूतर फँसा हुआ है अपने आप चिल्लाएगा।तो अब मैं कोई संवाद न प्रस्तुत करूँगा।साफ-साफ सुन लो।तुम ऐसे ही अपने राजकुमार को ढूँढती रहना।कोई लपका मिलेगा।जो तुम्हें रोज बनाएगा मुर्गी।अब बहुत अति हो चुकी है। भला यह हो कि तुम अब अपने अभिभावकों के माध्यम से इस प्रसंग का उपसंहार कराओ।अन्यथा अपने हिस्से के कष्ट तुम्हे अष्ट जगह से तोड़ेंगे।मेरा तो सब ठीक है श्रीरामोपासक हूँ।उनकी शरण से कभी हटता नहीं हूँ।तो हनुमन्त तो वैसे ही प्रसन्न रहेंगे।तुम अपने राजकुमार के यहाँ आलू छीलते रहना और बनाती रहना कचौड़ी।तुम कैसे अपनी मूर्खता के धब्बे को हटा सकोगी।कैसे पा सकोगी अपनी विद्वता का तमगा।मैं न दूँगा कभी।तुम मेरे लिए ऐसी ही मूर्ख रहोगी।महामूर्ख।वज्रमूर्ख।

©अभिषेक: पाराशरः

Language: Hindi
819 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...