??पौधा लगवाते जाएँ??
हर जन दूजे तक मेरी बात पहुंचाते जाए।
चार पौधे जीवन में लगा वृक्ष बनाते जाए।।
पर्यावरण प्रदूषण पर करें निरंतर चिंतन।
लाभ-हानि, परिणाम भविष्य समझाते जाए।।
हो जाएगा मिल “अशोक महान” सा कार्य।
राही छाया जब प्यासे को नीर पिलाते जाए।।
संस्कार का बच्चों को हर पाठ पढ़ाया जाए।
गुरुदक्षिणा में सबसे एक पौधा लगवाते जाए।।
करो नई पीढ़ी का भविष्य निर्धारण आज।
बिन मास्क बच्चा बाहर खिल-खिलाते जाए।।
कोई कहता जल, कोई वायु जीवन कहता,
अमूल्य स्रोत जीवन का वृक्ष बहाते जाए।।
आँगन गली चौराहा हर तेरे नाम का “जय”
सुंदर फल छायादार तरुवर लहराते जाए।।
संतोष बरमैया “जय”
कुरई, सिवनी, म.प्र.