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20 Apr 2022 · 1 min read

💐स्वावलम्बी सर्वदा सुखी💐

यः मनुष्य: यावान् स्वावलम्बी भवति तावान् एव सुखी भवति।स्वावलम्बनं मानवजात्या: एव निर्माणं न करोति अपितु राष्ट्रस्य समेकित प्रकारेण अपि निर्माणं करोति।परं एतस्य कृते एकं सरल: दृढ़: च मार्गस्य आवश्यकता।आत्मविश्वासस्य अपि एतस्मिन् प्रकरणे स्वस्थानं वर्तते।श्रद्धा त्यागं चापि परमार्थस्य अवसर: प्रदानं करोति एतस्मिन्।यत: श्रद्धया एव ज्ञानं प्राप्तं कर्तुं शक्नोति।
“श्रद्धावान लभते ज्ञानं तत्परं संयतेन्द्रियः”
परतुं यदि हनुमतः सम्यक् उपासते तु परमार्थस्य उत्प्रेरक: भावनां सरलं माध्यमेन् एव प्राप्त: कर्तुं शक्नोति।
“अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता, अस वर दीन्ह जानकीमाता।”
नव=’नवीन, नौ’इति

©अभिषेक: पाराशरः

Language: Sanskrit
Tag: Quotation
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