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20 Apr 2022 · 1 min read

💐स्वधर्मे निधनं श्रेय:💐

“स्वधर्मे निधनं श्रेय: परधर्मो भयावह:”एतस्मिन् आध्यात्मिक: वाक्येषु सामान्य: परिभाषा व्याख्या जटिलत्वं परिभाषा वा मनुष्यस्य चिन्तने निर्भरं धर्मस्य।गीताकार: प्रारम्भे शिष्यत्वंस्य अवधारयति।तत्पश्चात् भिन्नं-भिन्नं स्थानेषु यज्ञानां माध्यमानां स्वमतानां स्थापयति।उपसंहारे ‘सर्वधर्मान् परित्यज: मामेकं शरणंब्रज:’इति सम्पूर्णशरणागतिं नियोजनं सरलं प्रकारेण विवेचना करोति।
‘धर्मों रक्षति रक्षतः’
यह नीड़ मनोहर कृतियों का,
यह विश्व कर्म रंगस्थल है,
है परम्परा लग रही यहाँ,
ठहरा जिसमें जितना बल है।।
-जय शंकर प्रसाद

©अभिषेक: पाराशरः

Language: Sanskrit
Tag: Quotation
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