💐खामोश जुबां 💐
DR ARUN KUMAR SHASTRI
EK ABODH BALAK _ARUN ATRIPT
💐 खामोश जुबां 💐
एक अबोध बालक
बिन कहे जो भी बात कही जाती है
असर कुछ ज्यादा ही वो दिखाती है ।।
तेरे मेरे दरमिया इखलाक के मुताबिक
अन्कहे अल्फ़ाज़ पसरे इक ख्याल के मुताबिक ।।
खामोशी भी खूबसूरत छंदों का सृजन कर जाती है
बिन कहे जो भी बात कभी कभी कही जाती है
मुगाल्ता किस को नहीँ इस जहान में अपनी सोच पर
किस नाचीज को अपनी सूरत बदसूरत नजर आती है
देख मैने तुझको चाहा है दिल से जमीर से
ये बात और है तूझे मेरे चाहत नहीं सुहाती है
छोड़ कर जा रहें है आपकी गलियों को हम
प्यार तो छूटेगा नही जब तलक जिंदा हैं हम
बिन कहे जो भी बात कही जाती है
असर कुछ ज्यादा ही वो दिखाती है ।।