माँ तो आखिर माँ होती है …!!
माँ…….
हर लम्हे की आह में बच्चों की परवरिश होती है,
माँ तो आखिर माँ होती है, वो कहाँ किसी की सुनती है !!
माँ की ख़ामोशी के पीछे, छुपे अनगिनत दर्द है,
इस मर्ज की कोई दवा नहीं, माँ का जीवन ही संघर्ष है !!
माँ का त्याग निश्छल होता है,
दया, माया में भेद ना जाने, उसका मन कल्पतर होता है !!
बच्चों के एक खिलौने की ख्वाहिश, माँ की नींद, चैन ले जाती है,
ख्वाहिश पूरी करने के लिए, हर तकलीफ से गुजर जाती है !
माँ तो आखिर माँ होती है,
वो बच्चो के लिए क्या कुछ नहीं करती है !!
नौ माह की घोर तपस्या, बच्चों के लिए करती है,
अपनी सुंदरता का तर्पण, बच्चों को मुबारक करती है !!
माँ की ममता के पालने मे, बच्चों की ख़ुशी पलती है,
अपनी परवरिश के दर्जे से, वो लालन -पालन करती है !!
अच्छी परवरिश की खातिर, माँ मजदूरी भी करती है,
चढ़ती धुपहरी मे भी वो, नंगे पाँव चला करती है !!
छिदभरे आँचल की आड़ मे, नन्हे को दूध पिलाया करती है,
कभी -कभी खुद बच्चे के संग, पेड़ की छाह मे सो जाया करती है!!
ख्वाबों मे कल्पना ही नहीं, ऐसे समर्पण देखे है,
लोगो के बर्तन चमकाते, अंजानो के दिल बहलाते,
कई तड़पते दर्पण देखे, कई थिरकते अंजुमन देखे !!
माँ की आँखों मे आंसू के साथ, ज्वाला पलते देखी है,
जिन लाली का रंग मैंने ना उतरते देखा था,
उन होठों को भूख के मारे, फटते मैंने देखे है !!
ज़ब माँ की आँखों में धुंधला सा दिखाई पड़ता है,
तब तक अपने बच्चों के हर ख्वाब सजाते देखे है !
माँ तो आखिर माँ होती है,,,,,
खुद से ज्यादा वो अपनों की फ़िकर करती है !!
वो माँ ही होती है, जो जीवन भर बच्चों की फ़िक्र मे जीती है,
ना जाने कितने ही संघर्ष, वो अपने जीवन में करती है !
माँ तो आखिर माँ होती है, वो कहाँ किसी की सुनती है !!
रवि ठाकुर s/o रामनाथ ठाकुर
At post Sohagpur, Betul (M.P.)
Mob. 9109854650
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