? चंदनिया चाँद की ?
डॉ अरुण कुमार शास्त्री, एक अबोध बालक ?अरुण अतृप्त ?
? चंदनिया चाँद की ?
उम्र की उलझनें
मत गिना कीजियेगा
मन परेशान होगा
तन हैरान होगा
धडकनें दिल की दीवारों
से टकरा टकरा कर
बे हाल कर देंगी ।।
तो मासूमियत
पिघल जाएगी
आपकी ।।
फिर अफ़सोस
होगा हमी को ।।
चांद की जलन से हम
भी डगमगाने लगते हैं
चान्द्नी हर रोज
करती है शिकायतें उसकी
चांद घबरा जायेगा
जो पता चलेगा उसको
इसलिए मैं बस मुस्कुरा
कर टाल दिया करता हूँ
ये नादानियां उसकी ।।
उम्र की उलझनें
मत गिना कीजियेगा
मन परेशान होगा
तन हैरान होगा
धडकनें दिल की दीवारों
से टकरा टकरा कर
बे हाल कर देंगी ।।
तो मासूमियत
पिघल जाएगी
आपकी ।।
फिर अफ़सोस होगा
हमी को ।।