सब कुछ आधा लगा…!
इश्क़ ,मोहब्बत सब एक ही जैसे है ,
हमें तुम्हारे इश्क़ में भी कुछ ज्यादा लगा ।
तुम्हारी बेरुखी की क्या मिसाल दू अब ,
तुम्हारी नफ़रत भी प्यार से कुछ ज्यादा लगा ।
तुम्हें चाहने में हमने ख़ुद को यहाँ तक ले आया
मगर तुम्हें चाहना भी हमें बाधा लगा ।
यू ही लोग मुझे नही कहते है ‘हसीब’
मेरा नाम भी उन्हें कुछ आधा-आधा सा लगा।
:-हसीब अनवर