? हौसलों की उड़ान?
?? हौसलों की उड़ान ??
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ए परिंदे ! डर रहा क्यों हौसलों की उड़ान से।
अभी तो दो-दो हाथ करने हैं तुझे असमान से।
पूछ लेना “ऐ हवाओ! क्या तुम्हें मालूम है?
आज ही निकला हूँ उड़ने मैं अनौखी शान से।”
चीर कर के बादलों को,खुद बना रस्ते नए।
प्रश्न अनसुलझे सुलझ,जाएं तेरे स्वाभिमान से।
पाल बैठे थे जो शंका,आज हों निर्मूल सब।
गूंज जाएं चहुं दिशाएं,इक नए यशगान से।
जो हुनर तूने है पाया,खुद तलक सीमित ना रख।
अपनी यशगाथा को जाकर,बाँट सारे जहांन से।
तेज उड़ने का भरोसा,पंख पर कायम न रख।
है तेरी कोशिश का फल,जो की गई ईमान से।
ये नई ऊंचाइयां पाकर,ना मद में चूर हो।
बच के रहना जिंदगी में,खुदी के अभिमान से।
बस सबक ये जिंदगी का,याद रखना तू सदा।
कर ना समझौता कभी तू खुद के ही सम्मान से।
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?तेज 9/5/17✍