?कम नहीं होती?
??कम नहीं होती??
मेरे दुःखो की बयार खत्म नहीं होती,,
मेरी परेशानी की डगार कम नहीं होती,,
ये जिंदगी और कितने इम्तहां लेगी मेरे,,
तेरे तड़पाने से चलने की रफ़्तार कम नही होती।।
में पत्थर हूँ कितनी भी ठोकर सहलूंगा,,
मूरत बनना मुझे तेरी चोट से गुहार कम नहीं होती।।
बनादे मिटादे मिटटी में मिलादे हंसती दुनिया मेरी,,
जहरी हवाओं से इत्र की फुहार कम नहीं होती।।
मुस्कुराते लवो को देख के मुस्कुराहट रूकती नहीं,,
कोई गुनाह हो सजा कारागार कम नही होती।।
मुद्दतो बाद मिले नसीब से दिलवाले मुझे,,
जुल्मी दुनिया के पत्थरो की मार कम नहीं होती।।
मनु उसको क्या कहे वो तो अपना ही है,,
मगर दुनिया की तकरार कम नही होती।।
?मानक लाल मनु,,
?सरस्वती साहित्य परिषद सालीचौका,,