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6 May 2022 · 1 min read

🍀🍀परमात्मा भावग्राही🍀🍀

शास्त्रेषु अध्ययनेन जिज्ञासुम् लाभः भवति अन्यथा दृष्टयां अभिमानस्य उदय: भवति।अभिमानं पतनं कर्ता भवति। नाशवानेन अलं सुखेन तु अन्तःकरणं शुद्ध: भविष्यति।मल-विक्षेप-आवरणं आदीनाम वार्ता केवलं शिक्षार्थं च एषः दीर्घ: मार्गं।
अनुभवीभि: नरै: श्रवणे सहजावस्था तत्काल प्राप्त: भवति।शास्त्र-चिन्तनेन बिलम्ब: भवति यतः एतस्मिन् केवलं अस्माकं बुद्धि: नियोजयति।यः साधनम् अस्मान् निर्विवाद: च सुगम: च भवति, एतेषु तत्परतापूर्वकं स्वनियोजनं स्यात्।
सगुणं-निर्गुणं अस्माकं मान्यता।परमात्मा सगुणेन निर्गुणेन च विलक्षणं।यदि वयं परमात्मानं सगुणं वा निर्गुणं वा एव जानाति तु तदा परमात्मन: प्राप्ति: भवति।सम्प्रति उपासना करणस्य किं आवश्यकता?अतः सर्वेण सरलं मार्ग: एषः अस्ति यत् परमात्मा अस्ति च सः अस्माकं अस्ति।भगवान: भावग्राही।सः अस्माकं भावान् जानाति, यद्यपि वयं तं न जानाम:।

©अभिषेक: पाराशरः

Language: Sanskrit
Tag: Quotation
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