🍀🌺प्रेम की राह पर-51🌺🍀
व्यंग्य और तानों की मिश्रित भाषा का प्रहार सब कोई कर लेता है।कोई उसे कम कोई मध्यम और कोई ज़्यादा तीखा करता है।ज़्यादा तीखा व्यवहार का ही कटुता के रूप में निर्वचन किया जाता है।तो तुम्हारा चेहरा यह देखने पर ही उगलता देता है कि इतना सीधापन तो नही लिए हुए हैं।किसी के कहे हुए के आधार पर मैं किसी का क्या अनुमान लगाता परं तुम्हारे चेहरे को पढ़ना बहुत जरुरी था।तुम्हारी कटुता का दूसरा पहलू यह भी है कि तुम अभी भी ऐसे मनुष्यों के प्रति मुझसे मेरी चापलूसी के भावों का परीक्षण अपनी भावों की तराजू से कराना चाहती हो।तो मैं अब तुम्हारे बढ़ रहे भावों को यहीं विराम दूँगा।तुम ऐसे ही अपनी काबिलियत और करामात का डिम-डिम घोष बजाती रहो।तो तुम चिन्ता न करो यह तुम्हारा सब छंट जाएगा।समय की मलहम सबसे अच्छी भी है और गाढ़ी भी।जिसका चिकित्सकिय प्रमाण सभी जानते हैं।तो तुम तो और अच्छी तरह जानती होगी।तुम्हारा कोरा ज्ञान एक मात्र छलावा है।जिसके पीछे कमरे की रिहर्सल और किताबों का ज़खीरा अपना गुणगान कर रहा है।ऐसे ही टें टें करती रहना।तुम कहीं विषकन्या तो नहीं हो।जो अत्यन्त दूरी पर होने के बाबजूद भी अपने शाब्दिक बिष भुजे तीरों से आक्रमण करती रहती हो।इतनी भोली तो नहीं हो तुम पों पों।हे पों पों!तुम्हारी टें टें कें कें में न बदल जाये।अपने समवेत गानों को अपने जनों के साथ ऐसे ही गाती रहना दीनू।तुम ऐसे ही बढ़ाती रहना अपने भाव की कीचड़।जिसके दलदल में तुम स्वयं ही फँसोगे।कोई न निकालेगा तुम्हें कुल्फी।हमारा काम तो टॉप है।काम भी हो रहा है और भजन भी।तुम इंद्रप्रस्थ में रहकर भच्छाभच्छ खाकर पाप कमाओं और अपने बढ़ रहे भावों को स्वयं झेलना।कोई कीमत न लगाएगा तुम्हारे भावों की।तुम स्वयं उपहास के योग्य हो और तुम्हारा उपहास ऐसे ही उड़ता रहेगा।तुम्हारी यह सब घिनौनी हरकतें ही हैं।मुझे पता था कि तुम किसी न किसी रूप में मेरा परीक्षण लेने को उपस्थित होती हो।तो सुनो मैं स्वयं को बहुत जाग्रत रखता हूँ।ज़्यादा होशियार न बनो।हाँ तुम टपोरी जरूर हो और ऐसे ही समय समय पर अपनी टपोरीगीरी अपने माता पिता के द्वारा दिये गए संस्कारों के साथ प्रस्तुत करती रहो।तुम प्रेम की भाषा के योग्य हो ही नहीं।तुम्हारे साथ निष्ठुरता का व्यवहार ही अब किया जाएगा।तुम वाक्द्वेषी हो ऐसे ही प्रतिक्षण अपनी द्वेषता सिद्ध करती रहना।पढ़ाई लिखाई पर कोई ध्यान नहीं है।क्रिप्टो क्रिप्टो खेलो सटोरियों की तरह।यही जो कर रही हो अपने माता पिता को धोखा देते हुए।क्या यह मौज मस्ती का समय है?यह समय तुम्हें धिक्कारेगा।चिन्ता न करो।सदुपयोग कर लो।इस समय का तरशते हैं लोग इस समय के लिए।तुम समय का सम्मान नहीं करोगे समय तुम्हारा सम्मान नहीं करेगा।किसी चमत्कार की आशा में न खोना गिलहरी।अपना परिश्रम ही आवाज देता है प्रेरणा बनकर।कमरे में बैठकर ऐसे ही स्त्रीचरित्र के चुटकले प्रस्तुत करती रहना और मेरे प्रति अपनी घटिया जुस्तजू के ख्यालों को प्रेषित करती रहना।तुम्हारी बुद्धि खराब हो चुकी है।तुम ईश्वर से प्रार्थना करो कि तुम्हारी बुद्धि को वह शुद्ध बना दें।हे लोलू!तुम्हारे सभी ट्विटर एकाउंट मैंने ब्लॉक कर दिए हैं।अब तुम कहोगी तभी खोले जायेंगे।मुल्ला जी वाले यूट्यूब वीडियो में नए फोटो डाल दिये हैं।उनमें और मूर्ख मालूम पड़ती हो।तुम वैसे भी महामूर्ख हो और प्रमाणित भी करती रहती हो।ऐसे ही अपनी नाक सूतती रहना।तुम्हें अपने अवगुण अंगीकार करने होंगे और उन्हीं के साथ ही ऐसे ही अपनी संगति सिद्ध करती रहना।मैं तो यह ही कहूँगा कि तुम काल्पनिक हो और संसार से किसी भी क्षण अदृश्य हो जाओगी।यहाँ मात्र मेरा ईश्वरीय प्रेम ही जीवित रहेगा।तुम्हारी मूर्खता की कहानी यह जगत कहता रहेगा।तुम्हारा रहन सहन सब चुटकुले के रूप में लगा।क्यों कि तुम स्वयं ही चुटकुला हो।तुम अपने घटिया विचारों के साथ ऐसे ही जीती रहो।मेरा संसार चाहे कृष्णमय मानूँ या राममय मानूँ।वह वैसा ही है पर तुम्हारे विचार भी नपुंसक सदृश हो चुके हैं।क्यों तुम्हारी सोच ही ऐसी है।तुम उस आनन्द से सर्वदा दूर हो जाओगी जिसे तुम प्राप्त करना चाहती हो।कोई आश्चर्य न होगा कि तुम कबूतर की तरह गुटरगूँ न शुरू कर दो।क्यों पता है तुम मूर्ख हो और मूर्खों के गाँव अलग से नहीं बस रहे हैं इस संसार में।अब और क्या कहा जाए तुम मूर्ख हो तो तुम मूर्ख हो।मूर्खता का अवतार हो।वज्रमूर्ख।
©अभिषेक पाराशरः