? बेटी ?
?? मुक्तक ??
शर्त लगी थी एक शब्द में, लिखनी हैं जग की खुशियाँ ।
मैंने तो “बेटी” लिख डाला, करके अपना दर्द बयाँ।
जग की सब नेमत हैं जिसके,धूल बराबर पैरों की।
क्यों करती है “तेज” कोख में,इनकी हत्या ये दुनियाँ।
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©तेजवीर सिंह “तेज”