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25 Apr 2022 · 1 min read

🌺🍀निन्दाया: परिमार्जनं🍀🌺

निन्दां स्वीकरणं एतादृशः स्यात् यत् पश्चात् व्यवहारे एतस्या: व्यवहारं पुनरावृत्तिं न स्यात्।तु निन्दां स्वउन्नतित्वस्य आशायां सकारात्मकभावेन ग्रहणं करणं स्यात्।येन स्वस्य स्वभावस्य परिवर्तनं कर्तुं शक्नोति एतादृशेन आधारेण। निन्दा तु स्वस्य पारिमार्जनं करणं साधनं।एषा न केवलं आत्मविश्वासस्य वृद्धि: करणे सक्षम:।
“इन्द्रियाणि प्रमाथीनि हरन्ति प्रसभं मनः”

“मिरे जूनूँ का नतीजा जरूर निकलेगा।
इसी सियाह समुन्दर से नूर निकलेगा।”
-फानी बदायूँनी

©अभिषेक: पाराशरः

Language: Sanskrit
Tag: Quotation
84 Views
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