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4 Jul 2017 · 1 min read

????राह- ए-उलफ़त गर न मिला तो ????

बे-नज़र गर किया तो ये चिराग बुझ जाएगा।
राह-ए-उलफ़त गर न मिला तो ये कहाँ जाएगा।
बे-नज़र गर किया तो ये………………
सैकड़ों लोग आते जाते है इस जहाँ में हर ऱोज,
तेरी उलफ़त का नशा कोई कोई ही पाता है।
उन कोई कोई में मुझे शामिल कर ले,
फिर यह तेरी अंजमन का गुल कहाँ जाएगा।
बे-नज़र गर किया तो ये ……….
सब्र का जो तिलिस्म है तेरा, बड़े काम का है,
तू होकर मेरा इतना अंजान क्यों है।
न रह अंजान अब तो मेरी जान हो जा,
अता कर चिराग-ए-रहमत, फिर यह रिन्द कहाँ जाएगा।
बे-नज़र गर किया तो ये ……….
यूँ तो तू बरसाता है, रहमत के बादल हर ओर,
बरसा ‘अभिषेक’ पर भी कुछ इस तरह के बादल।
करें नेकियाँ इकठ्ठी और बने रहनुमा तेरा,
तभी यह तेरे निशानों पर चल पाएगा।
बे-नज़र गर किया तो ये ……….
##अभिषेक पाराशर()##

अंजमन- महफ़िल
राह ए उलफ़त- प्रेम मार्ग
चिराग ए उलफ़त-कृपा
रिन्द- मस्त

Language: Hindi
335 Views
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