??भाव में विचार में बने रहो हनुमान मेरे??
भाव में विचार में बने रहो हनुमान मेरे,
मन की चलायता को दूरि करि डारो प्रभु।
उर में बसो सिय राम रूप रंग लेके,
कलुष मिटाय, धैर्य वीरता जगाओ प्रभु।।1।।
भगति की गंगा प्रवाहित करो मेरे चित्त,
क्रोध तजि,रूप अनूप दिखलाओ प्रभु।
संकट हटाओ, ज्ञान-गुण उर वृध्दि करो,
लक्ष्य साधवे कूँ भय भीरुता भगाओ प्रभु।।2।।
दृष्टि क्षुद्र डारो तनिक मेरे अंजनी सुत,
आदि,व्याधि,रोग ओरु शोक कूँ मिटाओ प्रभु,
दंडोति लगाए लेटि,हाथ जोड़े ‘अभिषेक’
मन की लालसा कों शीघ्र पुरि करि डारो प्रभु।।3।।
@@@अभिषेक पाराशर@@#