???ऋतुराज बसन्त को भयो आगमन???
ऋतुराज बसन्त को भयो आगमन,
सुगन्ध भरी वायु बहाने लगी है।
किसी कोटर से झाँकी दिखाती है शीत,
आने जाने को नाटक रचाने लगी है।
फूल पत्ती बिखेरें नवरंग भलो,
गेहूँ जौं की कोपलहुँ इठलाने लगी हैं।
धूप शरमाती सी निकसे दुपहरिया में,
नव वधूलिका ज्यों घर में बतियाने लगी है।
मारे हों बाण अनंग ने ज्यों ऋषि पर,
फिरहुँ विरागी की भगति दृढाने लगी है।
शिव ‘अभिषेक’ कूँ तैयार है बसन्त,
शिव भगति की गंगा भी बहाने लगी है।
****अभिषेक पाराशर****