“वरदान”
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माॅं “सरस्वती” हमें “वरदान” ऐसा दीजिए।
हर अज्ञानी को “प्रसाद”‘ ज्ञान का दीजिए।
सच्चाई की राह पे जगत का कल्याण हो,
ऐसी ही युक्ति जन-जन में फैला दीजिए ।।
सभी तो हैं आपकी चरणों के धूल समान ।
ज्ञान पुंज से आलोकित कर बना दें महान ।
सबके अंतर्मन पर छाए तिमिर का नाश हो,
इस जग से मिट जाए पाप का नामोनिशान।।
हे माॅं…. आए हैं आपकी शरण में , हर कोई ।
विद्या बुद्धि का ‘वर’ दे दिखा दें उन्हें राह नई ।
जीवन के लम्बे सफ़र में सब उसी राह चलें….
जिससे कभी छू ना सके उन्हें निज कष्ट कोई।।
“स्वरचित एवं मौलिक” ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 12 / 02 / 2022.
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