?कविता?दुनियां बस एक तमाशा है ।
कविता । जीवन तो जिज्ञासा है ।
यह जीवन तो जिज्ञासा है ।
दुनियां बस एक तमाशा है ।
निज कर्मो की लगा बाजिया ,हम रहते है राम भरोसे ।
रिस्तों की सब नाव बनाते ।
कष्टों के तूफ़ान ढहाते ।
जीवन सागर, दुःख की थाली, ले आकरके रोज परोसे ।
जल असंख्य तारों से मन मे ।
इस जीवन रूपी उपवन मे ।
पुनः एक दिन बुझ जाते है, आशाओं के दीप झरोखें ।
बना स्वार्थी ताना बाना ।
सच्चाई को भूल न जाना ।
सतपथ की सुखमय छाया मे , दर्द नही दे पाते धोखे ।
सुख दुख के वह महल बनाता ।
कोशिश मे जीवन ढह जाता ।
प्रतिफल पाता निज कर्मो का , चाहे जितना विधि को कोसे ।
राम केश मिश्र