?माता-पिता?
?? मुक्तक ??
?बह्र – 1222 1222 1222 1222?
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अभागे लोग होते हैं पिता-माँ को सताते हैं।
कभी भी चैन जीवन में न वे दिन-रात पाते हैं।
मुसीबत जान कर जो छोड़ आते हैं वृद्धाश्रम।
सदा औलाद के हाथों यही दुःख खुद उठाते हैं।
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?तेज मथुरा?