【28】 *!* अखरेगी गैर – जिम्मेदारी *!*
वक्त रहे ना जाग सके, बच्चे चंचल अज्ञानी थे
भ्रम मैं जीना सीख गए, करते नित कई नादानी थे
(1) निज जिम्मेदारी से बच्चे, लाखों मीलों दूर थे
बात युवा बच्चों की, बच्चे आदत से मजबूर थे
छोड़ पढ़ाई इधर-उधर की, बातों में मगरूर थे
अच्छी बातें, संस्कार उन्हें, कूड़ा-करकट वानी थे
वक्त रहे ना……………
(2) आज वक्त उनकी झोली में, नासमझी को बैठे भर
समझ और बुद्धिमानी को, छोड़ आए वो अपने घर
बुरे वक्त और मजबूरी का, उनको नहीं तनिक सा डर
गुरु यूंही कहता रहता , वो नासमझी के दानी थे
वक्त रहे ना………….
(3) मुझे फिकर है इन बच्चों की, जो ऐसा करते – रहते
कल की चिंता को लेकर वो, लेश मात्र भी नहीं डरते
आज की मौज-मस्ती का कल, वो जीभर जुर्माना भरते
हम सब करें मार्गदर्शन तो, मिट जाएं भ्रम नादानी के
वक्त रहे ना …………..
** खैमसिहं सिंह सैनी 【राजस्थान】**