【21】 *!* क्या हम चंदन जैसे हैं ? *!*
सोचो जग में रहने वालों, क्या हम चंदन के जैसे हैं?
क्या कर्म किये हम चंदन से, सोचो हम आखिर कैसे हैं?
{1} वक्त ने ली करवट हम बदले, चांद सितारे कहते हैं
जो भी जग में हम काम करें , वो हमें देखते रहते हैं
सच्चाई का निज दर्पण बन, नदियाँ, झरने बहते हैं
कभी न छोड़े चन्दन निज गुण, हम क्यों ऐसे वैसे हैं
सोचो जग में …………..
{2} फूल न छोड़े खुशबू देना, पेड़ हमें दें शुद्ध हवा
पहाड़ हमें दें जड़ी – बूटियाँ, जिनसे बनती कई दवा
चूल्हा सहायक हो भोजन मेंं, रोटी सेके गर्म तवा
चंदन खुद मेहके – मेहकाये, गुण उपकारी ऐसे हैं
सोचो जग में…………..
{3} बुरी संगती हमें मिले तो, पल में उस में ढ़ल जाते
निज अस्तित्व मिटाकर भी हम, अवगुण के गुण क्यों गाते?
बुरा कभी क्या भला करेगा?, बुरे हमें क्योंकर भाते?
चंदन को व्यापत नहीं विषधर, चाहे वो काल के जैसे हैं
सोचो जग में……………
{4} क्रोध के बदले क्रोध चाहें हम, लड़ने के बदले लड़ना
जो यही रहे पद – चिन्ह , एक दिन पड़ सकता हमको सड़ना
अनहोनी को जान गये हम, अब क्योंकर इसपर अड़ना
चंदन से गुण धारण कर, हम भी तो चंदन के जैसे हैं
सोचो जग में……………