【13】 अंधा प्यार कोई न करियो
जलता दीपक देख पतंगा, मन में अति हर्षाया
घोर अन्धेरे जिसने एक, जलता दीपक पाया
जलता दीपक ……….
{1} भरी उडान पतंगे ने वह, उड़ता- उड़ता आया
दीपक लौ सुन्दरता वश, वह कुछ भी समझ न पाया
जलती लौ इतनी भायी, वह खुद को खूब घुमाया
जलता दीपक ………..
{2} लगा कई चक्कर दीपक के, पतंगें का सर चकराया
दीपक ज्वाला छुते ही, वह अपनी पंख जलाया
पंख जलत गिर गया पतंगा, मन ही मन पछताया
जलता दीपक ………….
{3} जली हुई पंखों से पतंगा, उड़ने को छटपटाया
लाख की कोशिश जली परों से, पर वह उड़ नहीं पाया
पड़ा धरा पर वह कोसे, मैं कैसा कदम उठाया
जलता दीपक ………….
{4} झूठी रौनक – शौनक ने ही, पतंगे को ललचाया
एक गलत कदम के कारण, वह सर्वस्व मिटाया
हुए बुरे हालात पतंगा, अपने प्राण गंवाया
जलता दीपक …………..
{5} ठीक पतंगे ही जैसा, मानव स्वभाव बनाया
छल और कपट ने मिलकर के, मानव को खूब लुभाया
हुआ स्वयं बर्बाद प्रेमवश, कुछ भी हाथ न आया
जलता दीपक …………..
सीखः- हमें किसी से भी अंधा प्यार नहीं करना चाहिए।
Arise DGRJ { Khaimsingh Saini }
M.A, B.Ed from University of Rajasthan
Mob. 9266034599