【11】 ** माँ की ममता को बेटे का प्यार अमर रहे ये रिश्ता अपार **
कभी था मैं छोटा बच्चा, माँ दूध तुम्हारा पीता था
रुकी- रुकी सांसों को माँ, मैं तो खुलकर के जीता था
कभी था में ……………
{1} तुमसे दो पल दूर हुआ माँ, मैं रोने लग.जाता था
दुनियाँ की ये रौनक – शौनक, काम नहीं कुछ आता था
तेरी गोद से अलग हुआ तो, मन मेरा घबराता था
तेरा आँचल मिलते ही माँ, मुझे स्वर्ग मिल जाता था
कभी था में …………….
{2} कुछ थोडा सा बडा हुआ, मैं घुटनों के बल चलता था
तेरी की उंगली पकड़ चल माँ, मैं कितना इतराता था
पल भर कदम बढाकर माँ, मैं तो रोने लग जाता था
माँ तेरा मन मुझको गोद ले, फूले नहीं समाता था
कभी था मैं ……………
{3} बाल अवस्था में मेरी मईया, तेरा आश्रय पाता था
गोद में बैठके तेरी माँ मैं, माखन मिश्री खाता था
दूध -खिचड़ी के आगे माँ , छप्पन भोग न भाता था
तेरे हाथ की छाछ – राबड़ी, खा मैं भूख मिटाता था
कभी था मैं ……………
{4} बडा हुआ किशोर बना, मुझे गम एक रोज सताता था
तुमसे बिछडने की सोचके माँ, मैं आँसू रोक न पाता था
घर से बाहर पढना है जब, पापा मुझे बताता था
मात – पिता को छोड़के पढना, मुझको नहीं सुहाता था
कभी था मैं ……………
सीखः- हमें अपने माँ – बाप और बुजुर्गों की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
Arise DGRJ { Khaimsingh Saini }
M.A, B.Ed from University of Rajasthan
Mob. 9266034599