【 ख़ुदा तुमसे किये वादे मुझे बेशक़ निभाना है 】
ग़ज़ल ⚛
ख़ुदा तुमसे किये वादे मुझे बेशक़ निभाना है
तुम्हारे पास ही मुझको मकाँ अपना बनाना है
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बताऊ क्यूँ भला तुमको यहाँ क्या करने आई थी
यहाँ जो कऱ ने आई थी मुझे वो कर के जाना है
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सजाये थे बहुत सपने जो बचपन में कभी मैंने
मुझे उनको लगाकर पर जरा सा अब उड़ाना है
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जमाने ने बहुत तोड़ा मुझे लेकिन नही टूटी
ख़ुदा भी कह गये मुझको तुम्हे सब कर दिखाना है
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गये क्यों छोड़ कर पापा यहाँ प्यारी सी गुड़ियाँ को
बड़ी अब हो गई गुड़ियाँ,तुम्हें अब ये बताना है
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कभी कोमल नहीं खेली , यहाँ पर इन खिलोनों से
सदा बहती रही आँखें , यही सबसे छिपाना है
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ख़ुदा दे दो दुआँ इतनी ख़ुशी परिवार हो मेरा
मेरी छोटी सी बहना को हमे अफसर बनाना है
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लिखी है आज फिर हमने कहानी मे’रे बचपन की
लिखी हमने कहानी ये यहाँ सब को पढ़ाना है
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कहानी ही कहानी रह गई अब जिंदगी मेरी
कहानी गर सुने कोई उसे यह भी सुनाना है
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कोमल गुप्ता ” रौनक़ “